Script of Street Play



(अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)-2
                               (अरे दिलों पे छा गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)
                               (अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)
                               अरे सीना ठोंक के बोलेंगे, दिल की परतें खोलेंगे
                   अरे सच को गले लगाएंगे, नुक्कड़िये कहलाएंगे
                              (अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)-2

हजरात, हजरात, हजरात
उठाता है कोई मुद्दा महिला सशक्तीकरण का
कोई आरक्षण का
तो कोई कसता है चोट राजनीतिक बर्बरता पर
लेकिन कभी ज़रा सोंच के देखो, क्या कभी असर पड़ता है उस जनता पर
नहीं, नहीं, नहीं
इसीलिये तमाम सबूतों और गवाहों को मद्देनज़र रखते हुए, वायु सदन लेकर आया है; गैर राजनीतिक, गैर विदेसी, पूर्ण स्वदेसी, जबरिया, लल्लनटाप नुक्कड़ नाटक, जिसका शीर्षक है...................................
(अरे आ गए आ गए नुक्कड़िये, देखो आ गए आ गए नुक्कड़िये)-2


SCENE-1
साथियों। 13वाँ युवा महोत्सव शुरू होने वाला है इस बार दिल्ली में,
बड़े-बड़े कॉलेजों की टीमों की होगी भरमार दिल्ली में,
क्विज़ और नुक्कड़ नाटक में हम भी दिखाएंगे दमखम
तो बोलो कौन चलेगा इस बार दिल्ली
हम, हम, हम
तो हो जाओ दुरुस्त, छोड़ दो लेट उठने की बीमारी
आज सो लो चैन की नींद, कल से शुरू करेंगे तैयारी
कोई सवाल???
सर, सलोनी तो आएगी ना
हाँ,बोला तो है उसने, लेकिन कल आएगी वो
शिवानी है दोस्त उसकी, साथ उसे भी लाएगी वो
अरे आना, कल आना, सुनो आना, चले आना
शिवानी के भरोसे, सलोनी के भरोसे, चले आना, अरे आ....ना


अगला......... दिन
छः बजे बोला था, ये कोई टाइम है क्या?
सर, पौन घंटा ही तो लेट हुए हैं, ये भी कोई क्राइम है क्या?
अरे, युवा महोत्सव की करनी है तैयारी
इसे हल्के में लेना है बहुत बड़ी बीमारी
एक महीने का ही बचा है वक़्त
सारे लड़कों हो जाओ, एकदम सख़्त
सर, सलोनी नहीं आई, शिवानी भी साथ नहीं लाई
उसको ज़रा घर पर कुछ काम रह गया, अब नहीं कर रही वो प्रैक्टिस
काम रह गया, काम रह गया, आराम रह गया
जो आए थे, शिवानी के भरोसे, सलोनी के भरोसे, कट जाओ.....


वचन दो
एक महीने जम कर करोगे प्रैक्टिस
एक महीने जम कर करेंगे प्रैक्टिस
लगा दोगे अपना ख़ून और पसीना
लगा देंगे अपना ख़ून और पसीना
एक महीने तक घर की शकल नहीं देखोगे
एक महीने तक........ हैं
            अरे युवा महोत्सव तो आते आए हैं, आते जाएंगे
            हम तो घर जाएंगे, हम तो घर जाएंगे


साथियों! ऐसे करते करते हमारी ताक़त घट जाती है
यूनिवर्सिटी जम्मू, नॉन जम्मू में बँट जाती है
फिर होता वही है, जो नियति को मंज़ूर है
अगर ऐसे ही चलता रहा, तो दिल्ली बहुत दूर है

देखिये आगे का हाल


रिपोर्टर- 13वें युवा महोत्सव में कटरा यूनिवर्सिटी का बेहद ही ख़राब प्रदर्शन, नहीं मिला कोई भी स्थान। क्या कहना चाहेंगे आप इस पर।
जी. कोशिश तो हमने पूरी की
पूरी की क्या???? पूरी की क्या????
हमने सबसे अच्छे खिलाड़ी उतारे
हैं?क्या बात कर रहा है? सच्ची?
लेकिन इस हार के लिये हम शर्मिंदा है, अगली बार हम और मेहनत के साथ आएंगे

जो थे शिवानी के भरोसे, सलोनी के भरोसे, पछताओ...

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